Urban Sanitation in India

urban sanitation in india | भारत में शहरी स्वच्छता

 परिच

  • स्वच्छता सर्वेक्षण रैंकिंग -2020 में एक बार फिर इंदौर प्रथम स्थान पर रहा इंदौर के साथ क्रमश सूरत , नवी मुंबई , विजयवाड़ा , अहमदाबाद प्रारम्भ के 5 स्थानों पर रहे। आज भारत की शहरी स्वच्छता 2011 की जनसंख्या आकड़ो से बहुत आगे जा चुकी है।
  • जनगणना (2011) से पता चला कि शहरी भारत में 12.6 प्रतिशत परिवार खुले में शौच (ओडी) जाते हैं। 
  • निश्चित रूप से ग्रामीण भारत की तुलना में यह संख्या कम थी, जहाँ 68 प्रतिशत लोग खुले में शौच (ओडी) जा रहे थे, फिर भी इसका शहरी नागरिकों के स्वास्थ्य और समग्र पर्यावरण पर दुष्प्रभाव पड़ रहा था। • इससे 75 प्रतिशत ताजा जल संसाधन मल जल से दूषित हो रहे थेजो कि एक गंभीर स्थिति उत्पन्न कर रहा था। परन्तु निरंतर प्रयासों द्वारा इस समस्या को निस्तारित करने में भारत सफल रहा है।

स्वच्छता की आवश्यकता क्यों बीमारी का निदान :-

  • विश्वभर में इस बात के महत्त्वपूर्ण साक्ष्य मौजूद हैं कि बेहतर स्वच्छता, स्वास्थ्य और सफाई व्यवस्था से मच्छर जनित (वेक्टर-बोर्न) बीमारियों, परजीवी संक्रमणों और पोषक तत्वों की कमी से होने वाली बीमारियों पर कारगर ढंग से नियंत्रण करने में मदद मिलती है।
  • ऐसे अध्ययन किए गए हैं, जिनसे पता चलता है कि स्वच्छता और आरोग्यता का पेट और आंत की बीमारियों (विशेषकर अतिसार), मनोवैज्ञानिक मुद्दों और एलर्जी की स्थितियों में कमी के साथ सम्बन्ध है। यूनिसेफ की एक रिपोर्ट (2011) के अनुसार, अतिसार से होने वाली करीब 90 प्रतिशत शिशु मौतों का विषाक्त जल, स्वच्छता के अभाव या अपर्याप्त आरोग्यता के साथ प्रत्यक्ष सम्बन्ध है।
  • संचारी रोगों पर असर के अतिरिक्त, बेहतर स्वच्छता से कम भार वाले शिशुओं के जन्म, गर्भपातों और जन्म से विकृत पैदा होने वाले शिशुओं में कमी आती है। | urban sanitation in india

पोषण सुरक्षा :-

  • भारत में पोषण सुरक्षा के बारे में इंडिया हेल्थ रिपोर्ट 2015 के अनुसार, पूर्वोत्तर राज्य मणिपुर में स्वच्छता सुविधाओं तक बेहतर पहुंच के कारण 2006 और 2014 के बीच बौनेपनमें 13 प्रतिशत अंक और कम भार वाले बच्चों बच्चों में 5 प्रतिशत अंक की गिरावट आई।
    भारत का पड़ोस तथा चीन
  • भारत तथा चीन कई संगठनों यथा एससीओ , ब्रिक्स , में सहयोगी हैं परन्तु शायद ही इन संगठनों का कोई देश इन दोनों मे से किसी का साथ छोड़ पायेगा इस समय, जब भारत को चीन के विरुद्ध सहयोग की आवश्यकता है तब भारत को अपने कई पारंपरिक मित्रों को सहायक से कम पा रहा है। पाकिस्तान ने भारत का चीन की तरफ तनाव देख कर नवीन नक्शा जारी कर दिया है जिसमे उसने गुजरात के हिस्से को अपना बताया है।
  • इसी समय ञीन प्वामा मेपाह, अफगानिस्तान औम पाकिस्तान आाासी बैदक आयोमित की, यहाँ, उन्होंने नेपाल के साथ एक आर्थिक गलियारे की योजना को आगे बढ़ाने का प्रस्ताव रखा, जिसे ट्रांस-हिमालयी मल्टी-डाइमेंशनल कनेक्टिविटी नेटवर्क के रूप में स्टाइल किया गया और चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारे (CPEC) का विस्तार करके अफगानिस्तान की तर्ज पर नए आर्थिक गलियारों का लाभ उठाया गया।
  • ञीन ने फिर से एक हद तक ईरान में बट़त बमा ली है। ईरान और चीन के बीच वर्तमान में एक आर्थिक और सुरक्षा साझेदारी की शुरुआत होने की सूचना है जो ईरान में ऊर्जा और अन्य क्षेत्रों में बड़े पैमाने पर चीनी निवेश को शामिल करेगी, जिसके बदले में चीन को अगले 25 वर्षों के लिए ईरानी तेल की नियमित आपूर्ति प्राप्त होगी।
  • चाबहार-अफगानिस्तान रेल लिंक के लिए एक शानदार सहायता पैकेज प्रदान करके, चीन ने भारत के एकाधिकार को दरकिनार करने के लिए भी निपुणता से स्वयं को उपलब्ध किया है।

साराजिक आर्थिक लाभ-

  • परिष्कृत स्वच्छता सुविधाओं का न केवल स्वास्थ्य पर बल्कि सामाजिक और आर्थिक विकास पर भी महत्त्वपूर्ण प्रभाव पड़ता है। ऴॿमাसमीह देमों के बारे में यह बात विमेष मूप से हॾकू हो।ी है।Υ
  • उदाहरण के लिए अगस्त 2017 में भारत में यूनिसेफ द्वारा कराए गए एक स्वतंत्र अध्ययन के अनुसार यह सिद्ध हुआ कि अगर खुले में शौच की प्रवृत्ति समाप्त हो जाए, तो भारत में प्रत्येक परिवार को करीब 50,000 रुपए वार्षिक लाभ होगा। • इसके साथ साथ हाथ से मैला ढोने वाली प्रथाएं भी कम होंगी। | urban sanitation in india

सतत विकास लक्ष्य:

सতत वॿकাस हক्ष्যोत में भी स्वच्मতा को प्मমॿसॾसॾ को मॾरमीस स्थ৾म कॿया हॹा है।

शहरी स्वच्छता का विकास (स्वच्छ भारत मिशन):-

  • दो अक्टूबर 2019 को शहरी भारत खुले में शौच से मुक्त (ओडीएफ) घोषित किया गया, जो महात्मा गांधी को उनकी 150वीं जयंती के अवसर पर उपयुक्त श्रद्धांजलि थी। यह ऐतिहासिक लक्ष्य केवल 5 वर्ष की अल्पावधि में हासिल किया जाना, सराहनीय था, विशेष रूप से यह देखते हुए कि आज तक सरकार के किसी कार्यक्रम में शहरी स्वच्छता के मुद्दे पर ध्यान केन्द्रित नहीं किया गया था।
  • कार्यक्रम के पांच वर्षों के दौरान न केवल ओडीएफ मिशन के लक्ष्य पूरे किए गए, लाखों नागरिकों, विशेष रूप से महिलाओं को गरिमा और सुरक्षा प्रदान की गई, मच्छर से होने वाली बीमारियों में महत्त्वपूर्ण कमी आई और नतीजतन स्वास्थ्य मानदंडों में सुधार अनुभव किया गया। इससे शहरी भारत समग्म स्वच्मता के पथ पर अम अक्मस॰ दिटाई दिमा।
  • आवास और शहरी मामले मंत्रालय भारत सरकार के विभिन्न मिशनों को लागू कर रहा है, जैसे स्वच्छ भारत मिशन (शहरी), अमृत, स्मार्ट सिटी मिशन, एनईआरयूडीपी आदि। मे सभी काम्यक्मम शहरी सॾवच्मता के मुद्दे कॾ मॿ मॾतॾमॾमॾमॾमॾमॾमॾमॾमॾतॾतॾमॾकॾमॾतॾतॾतॾतॾतॾतॾतॾ पिछले 5 वर्षों में सरकार के शहरी स्वच्छता कार्यक्रमों में प्रभावशाली सफलता (चित्र-I), हासिल हुई है, जहाँ देश के 99 प्रतिशत से अधिक शहर और 35 राज्य/संघ राज्य क्षेत्र ओडीएफ बन गए हैं। | urban sanitation in india

शहरी स्वच्छता पर अन्य नीतियां तथा योजनाएं नीतियों और योजनाओं में से कुछ निम्नांकित हैं

  1. जवाहरलाल नेहरू राष्ट्रीय शहरी नवीनीकरण मिशन (जेएनएनयूआरएम):
  2. शहरी गरीबों के लिए बुनियादी सेवा 
  3. राजीव आवास योजना (आरएवाई),
  4. एकीकृत आवास स्लम विकास कार्यक्रम (आईएचएसडीपी)
  5. शहरी स्वच्छता नीति, 2008 
  6. राष्ट्रीय शहरी निवास और आवास नीति, 2007
  7. एकीकृत निम्न लागत स्वच्छता(आईएलसीएस) कार्यक्रम क्षेत्र जहाँ और सुधार की आवश्यकता है :-

 व्यावहारिक परिवर्तन की आवश्यकता 

  • शहरी भारत फिलहाल एक महत्त्वपूर्ण मोड़ पर है। जहाँ शहरों और कस्बों में स्वच्छता स्थिति में निश्चित रूप से सुधार हुआ है, वहीं अभी बहुत कुछ किया जाना बाकी है, ताकि सभी शहर सच्चे अर्थों में स्मार्ट और रहने योग्य बन सकें।
  • उदाहरण के लिए जहाँ पर्याप्त शौचालय बनाए गए हैं परन्तु लोग अभी भी बाहर जा रहे हैं अतः व्यावहारिक परिवर्तन की आवश्यकता है। जल अपशिस्ट का बेहतर निदान :- 
  • इसी प्रकार यदि साफ-सफाई के जरिए बेहतर स्वास्थ्य का लक्ष्य हासिल करना है, तो शौचालयों से मल और मल-जल तथा घरों और प्रतिष्ठानों से गंदे पानी की निकासी, रखने, ले जाने और निपटान की सुरक्षित व्यवस्था जैसे मुद्दों में और अधिक सुधार की जरूरत है। 
  • यह मल-जल निकासी की पर्याप्त व्यवस्था के अभाव वाले छोटे शहरों और सेप्टिक टैंक जैसी सफाई व्यवस्था पर निर्भर देश के 60 प्रतिशत घरों के लिए विशेष रूप से महत्त्वपूर्ण है।ऐसे में खुले में शौच से मुक्ति के बावजूद इन शहरों में समग्र स्वच्छता के कारगर लाभकारी प्रभाव और स्वास्थ्य का लक्ष्य हासिल कर पाना कठिन है। स्थाईत्व की आवश्यकता :-
  • शहरी स्वच्छता की उपलब्धियां अभी भी अल्पकालिक और अस्थाई नजर आती हैं, यदि लम्बी अवधि तक इन्हें बनाए रखने के प्रयास नहीं किए जाते हैं। इसके साथ-साथ स्वच्छता पर अधिक ध्यान देने से लोगों की अपेक्षाएं भी इसे लेकर बढ़ गई है। 
  • लोग अब ऊंची गुणवत्ता वाली सेवाओं की मांग कर रह हैं। इसलिए स्वच्छता की गति तथा अब तक हासिल उपलब्धियों को बनाए रखने और आगे इनमें और सुधार की जरूरत है। सतत विकास के लिए कदम • इसके अलावा पारिस्थितिकीय तंत्र को भी सुदृढ़ करना होगा ताकि उपलब्ध होने वाले परिणामों को सतत रखा जा सके। इसीलिए आने वाले महीनों और वर्षों में हमें निम्मलिखित क्षेत्रों पर ध्यान देना होगा। 
  • सतत स्वच्छता (सभी शहरों को मल और मल-जल निपटान की समुचित व्यवस्था के साथ खुले में शौच से मुक्त++ बना कर) और • बेकार पानी को उपचारित करने की व्यवस्था (आवास और शहरी कार्य मंत्रालय के जल+प्रोटोकॉल के अनुरूप) इन सभी का नियोजन और क्रियान्वयन स्वच्छता से सम्पन्नता के तहत होना चाहिए। नीतिगत सुधार :-
  • इसके अलावा सुचारू नीतिगत सहयोग और सुधारों, मिशन क्रियान्वयन के लिए उन्नत प्रौद्योगिक, सुदृढ़ और वास्तविक आंकड़ों पर आधारित तीसरे पक्ष निगरानी व्यवस्था, नगर निगम कर्मियों के क्षमता निर्माण और निजी क्षेत्र की भागीदारी के माध्यम से सक्षम माहौल बनाया जाना होगा।
  • हमें प्रचलित ढर्रे से बाहर निकल कर सोचना होगा और नवाचारी तथा स्मार्ट उपायों के साथ आगे आना होगा, जैसे कि परिणाम आधारित प्रोत्साहन, मिशन प्रशासन को डिजिटली मुदृढ़ बनाना, ठोस और तरल कचरा प्रबंधन के समस्त मुद्दों के समाधान के लिए अन्य अन्तरराष्ट्रीय और राष्ट्रीय संस्थानों की तर्ज पर राष्ट्रीय उत्कृष्टता संस्थान का गठन इत्यादि।

 निष्कर्ष

  • आज स्वच्छता न सिर्फ एक अच्छी आदत है बल्कि यह सामाजिक आर्थिक उन्नति का द्योतक तथा राजनीतिक मुद्दा बन चुकी है। शहरी साफ सफाई में सुधार का सकारात्मक असर हमारे जीवन और व्यापक माहौल पर पड़ने लगा है। स्वच्छता का बेहतर प्रयोग हमे , स्वस्थ, समर्थ और सशक्त नए भारत के लक्ष्य की ओर ले जाएगा।
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